
HINDU NEW YEAR : SAMVAT-2079
Hindu New Year Vikram Samvat 2079 starts from April 2,2022 .According to the Panchang, every year the new year starts on the Pratipada date of Shukla Paksha of Chaitra month. It is also called Nav Samvatsar. It was started by Maharaj Vikramaditya.



विक्रम संवत :
विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है। भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। नेपाल के सरकारी संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। इसमें चान्द्र मास एवं सौर नाक्षत्र वर्ष (solar sidereal years) का उपयोग किया जाता है। प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ 57 ई.पू. में हुआ था। (विक्रमी संवत् = ईस्वी सन् + 57) ।
इस संवत् का आरम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है। यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है (अधिमास, देखें)।
जिस दिन नव संवत् का आरम्भ होता है, उस दिन के वार के अनुसार वर्ष के राजा का निर्धारण होता है।
महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन नक्षत्र जिसमें चन्द्रमा होता है
चैत्र- चित्रा, स्वाति
बैशाख- विशाखा, अनुराधा
जेष्ठ – जेष्ठा, मूल
आषाढ़- पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, सतभिषा
श्रावण- श्रावण, धनिष्ठा
भाद्रपद- पूर्वाभाद्रपद, उत्तरभाद्रपद
आश्विन- अश्विन, रेवती, भरणी
कार्तिक- कृत्तिका बदी, रोहणी
मार्गशीर्ष- मृगशिरा, उत्तरा
पौष – पुनर्वसु, पुष्य
माघ- मघा, अश्लेशा
फाल्गुन – पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त
प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं, जिसे कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष कहते हैं।
अन्य संवत्
प्राचीन सप्तर्षि ६६७६ ईपू
कलियुग संवत् ३१०२ ईपू
सप्तर्षि संवत ३०७६ ईपू
वीर निर्वाण संवत
शक संवत ७८ ई
कल्चुरी संवत248ई.
शक संवत (Saka Samvat)
किसी देश का राष्ट्रीय कैलेंडर उसकी सांस्कृतिक प्रभाव के संदर्भ में निर्दिष्ट किया जाता है जिसे कैलेंडर या उसकी प्रणाली दर्शाती है. यह लगभग हमेशा देश के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है और इसमें एक स्वर्ण काल की याद दिलाता है. भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर शक कैलेंडर पर आधारित है जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर के अलावा आधिकारिक नागरिक कैलेंडर के रूप में अपनाया गया है.
शक संवत किसने शुरू किया? (Who started Saka Samvat) कनिष्क
कब शुरू हुआ ( Saka Samvat Start)– 78 ई
वंश- कुषाण वंशी
मान्यता: भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर
शक संवत (Saka Samvat)
माना जाता है कि शक युग की स्थापना शतवाहन वंश के राजा शालिवाहन ने की थी. तथ्य यह है कि शक युग राजा शालिवाहन की प्रमुख सैन्य जीत के स्मरणोत्सव के रूप में बनवाया गया था, लेकिन शायद ही कोई ऐतिहासिक तथ्य है. ऐतिहासिक सर्वसम्मति यह है कि यह सामान्य काल के 78 वें वर्ष से शुरू हुआ. शालिवाहन और शक युग के बीच संबंध के शुरुआती प्रमाणों की पुष्टि 1222 ईस्वी में सोमराजा द्वारा किए गए कन्नड़ काव्य उद्भटकाव्य से हुई थी. इससे मुहूर्त-मार्तण्ड जैसी रचनाओं से पता चलता है कि शक युग की शुरुआत शालिवाहन के जन्म से की गई है, जबकि 1300 ईस्वी में लिखा गया कल्प प्रदीप बताता है कि यह विक्रमादित्य पर शालिवाहन की विजय का प्रतीक है.
विक्रम संवत और शक संवत में अंतर :
इसी कारण इन संवतों के शुरू होने वाली तारीखों में भी अंतर आ जाता है। शक संवत में चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, उस महीने की पहली तारीख है जबकि विक्रम संवत में यह सोलहवीं तारीख है। विक्रम संवत व शक संवत में आपस में अंतर 57 + 78 = 135 वर्ष का अंतर है!



चैत्र नवरात्रि -२०२२(Chaitra Navratri 2022):
चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ कल 02 अप्रैल दिन शनिवार से हो रहा है. इस बार चैत्र नवरात्रि शनिवार से शुरु हो रही है और 11 अप्रैल को दिन सोमवार को इसका समापन होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन
घटस्थापना करते हैं और मां दुर्गा का आह्वान करते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रखा जाता है. पारण के साथ इसका समापन करते हैं. हालांकि जो लोग पूरे 9 दिन व्रत नहीं रहते हैं, वे प्रथम दिन और दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखते हैं. आइए जानते हैं इस साल के घटस्थापना मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat) एवं चैत्र नवरात्रि से जुड़ी 7 महत्वपूर्ण बातें (Chaitra Navratri 2022 Important Facts).
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन करते हैं मां शैलपुत्री की पूजा
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2022
02 अप्रैल को प्रात: 06:10 बजे से प्रात: 08:31 बजे तक,
फिर दोपहर में 12:00 बजे से 12:50 बजे तक.
चैत्र नवरात्रि 2022 की महत्वपूर्ण बातें
- इस बार की चैत्र नवरात्रि पूरे 09 दिनों की है. 09 दिनों की चैत्र नवरात्रि को शुभ माना जाता है.
- इस साल चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ शनिवार से हो रहा है, इसलिए माता रानी का आगमन घोड़े की सवारी पर होगा. यह सत्ता पक्ष को सावधान रहने का संकेत देता है.चैत्र नवरात्रि पर मुहूर्त में करें घटस्थापना
- चैत्र नवरात्रि का समापन सोमवार को होगा, इसलिए मां दुर्गा भैंसे की सवारी पर पृथ्वी लोक से विदा होंगी. यह सवारी लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का संकेत देता है.
- चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि या नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बने हुए हैं. ये सुबह 06:10 बजे तक रहेंगे.
- चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का शुभ समय दोपहर 12:00 से 12:50 बजे तक है. यह उस दिन का अभिजीत मुहूर्त है.
- चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही हिंदू नववर्ष या कहें नए विक्रम संवत का प्रारंभ होता है. इस बार विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ होगा.
- 30 साल बाद ऐसा मौका आया है कि शनिवार को चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है और हिंदू नववर्ष शुरु हो रहा है !


CHAITRA NAVRATRI- 2022 :
Every year, as the spring paves way for summer, Hindus across the country start preparing for one of the biggest religious festival – Navratri. While a total of four Navratris fall in a span of one year, two of them – Chaitra Navratri and Sharad Navratri are predominantly celebrated in the country. According to the Gregorian calendar, Chaitra Navratri falls in the first month, called Chaitra, of the Hindu lunar-solar calendar. It is a nine-day festival, and this year, it will commence of 2nd April 2022 and will go on till 11th April 2022, with Ashtami being celebrated on the last day after. 9th day is celebrated as Navami, which marks the birth day of Lord Rama.
Puja Timings:
Mahurat Time (Kalash Sthapna): 2nd April 2022 (Saturday) – 6.22 a.m. to 8.29 a.m.
Total Duration: 2 hours and 18 minutes
Abhijeet Mahurat of Ghatasthapana: 2ndApril, 2022 – 12.08 p.m. to 12.57 p.m.
Significance Of Chaitra Navratri:
The nine days of Chaitra Navratri are devoted to worshipping the nine incarnations of Goddess Durga. Many people also observe fast on the first and last day, or all nine days. Sattvik diet is to be followed, which prohibits the consumption of onion, garlic, eggs, meats and alcohol. Many devotees also observe phallar fasting, which makes them abstain from consuming grains, cereals and legumes too.



मेरे सभी साथियों को हिन्दू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें ❤आप सब का जीवन मंगलमय हो 😊
Note please: I am indebted to Wikkipedia for the information on the historical significance of Samvatsar & Chaitra Navratri !Happy reading my dear friends💕
Chauhan sir, your stellar sharing is really informative and illustrative. While I wish you all for OUR NEW YEAR, I also pray that this NAVRATRI among other festivals may bring about peace and prosperity for all of us. Now that Crona period is over, MASS DURGA JI may keep all sorts of problem away from us all. WITH HIGH REGARDS.🙏🏾🙏🏾.
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Thanks dear for your beautiful wishes 💕🙏🏾
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Pleasure is all mine. 🙏🏾🙏🏾
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Best wishes to you sir on this auspicious day. This topic is really interesting and educational for lot of people like me. Really appreciate your insights. Thank you.
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Thanks dear for your appreciation
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I truly appreciate your insights. Hope you.are good and keeping safe
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Thanks for your encouraging comments! I am quite fine 💕
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Good to hear that
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🙏🏾
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